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परिचय


1. (i) विधिक मापविज्ञान मापों तथा भावी उपकरणों के लिए विधिक-अपेक्षाओं की प्रयुक्ति हैं।

(ii) विधिक मापविज्ञान का उद्देश्‍य बाटों तथा मापों की सुरक्षा तथा सटीकता को ध्‍यान में रखने की दृष्टि से शासकीय गारन्‍टी को सुनिश्चित करना है।

(iii) बाटों तथा मापों से संबंधित संवैधानिक उपबन्‍ध इस प्रकार हैं:-

  • बाट तथा माप के मानक संस्‍थापित करना – संघ सूची के अंतर्गत – प्रविष्टि -50: अधिनियम तथा नियमावली तैयार करना मानको का अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍बन्‍धों का विनिर्देशन, विधिक माप-विज्ञान आदि में प्रशिक्षण।
  • समवर्ती सूची – प्रविष्टि 33-क के अंतर्गत मानकों की संस्‍थापना को छोड़कर बाट तथा माप: विधिक मापविज्ञान का प्रवर्तन।

 

2. विधान:

 

2.1 विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009: इस अधिनियम को 13 जनवरी, 2018 को राष्‍ट्रपति की सहमति प्राप्‍त हुई तथा यह 01 अप्रैल, 2011 से प्रवृत्त हुआ। उपभोक्‍ता मामले विभाग इस अधिनियम के क्रियान्‍वयन के लिए नोडल एजेंसी है। इस अधिनियम के अंतर्गत विशिष्‍ट-उपबंध इस प्रकार हैं:-

 

  • विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 एक ऐसा अधिनियम है जिसमें बाट तथा माप मानक अधिनियम, 1976 तथा बाट तथा माप मानक (प्रवर्तन) अधिनियम, 1985 को कवर किया गया है।
  • इस अधिनियम में केवल 57 धाराएं हैं।
  • बाटों तथा मापों के प्रयोक्‍ताओं को पंजीकरण कराने की आवश्‍यकता नहीं है।
  • विभिन्‍न अपराधेों के दंडात्मक उपबंधों में वृद्धि कर दी गई है।
  • मीट्रिक प्रणाली पर आधारित बाटों तथा मापों के यूनिटों का मानकीकरण।
  • पूर्व पैकबंद वस्‍तुओं की घोषणा।
  • विनिर्माण/आयात से पूर्व बाट अथवा माप के मॉडल का अनुमोदन।
  • लाइसेंस के बगैर बाट अथवा माप के विनिर्माण, अध्‍ययन अथवा बिक्री पर प्रतिबंध।
  • बाट अथवा माप का सत्‍यापन और स्टाम्पिंग।
  • कम्‍पनी का केवल एक मनोनीत निदेशक विधिक मापविज्ञान अधिनियम के अंतर्गत कम्‍पनी द्वारा किए गए अपराधों के लिए उत्तरदायी होगा।
  • सहकारी अनुमोदित परीक्षण केन्‍द्र के उपबंध को प्रवृत्त कर दिया गया है।

 

3. इस अधिनियम के अंतर्गत निम्‍नलिखित 7 नियम तैयार किए गए हैं:-

 

3.1 विधिक मापविज्ञान (सामान्‍य) नियम, 2011: बाट तथा माप यंत्रों के लिए विनिर्देश विधिक माप-विज्ञान (सामान्‍य) नियम, 2011 में विहित किए गए हैं तथा इसमें इलैक्‍ट्रानिक बाट, यंत्र तौल हेतु, पैट्रोल-पम्‍प, वाटर-मीटर, स्फिग्मोमैनोमीटर, क्लिीनिकल-थर्मोमीटर आदि जैसे 40 प्रकार के बाट तथा माप यंत्र हैं। ये बाट तथा मापन यंत्र उद्योग- जगत, व्‍यापारियों, अस्‍पतालों तथा विभिन्‍न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा बाट तथा मापन प्रयोजन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं और बाट तथा माप के परिणामस्‍वरूप आम लोगों को प्रत्‍यक्ष रूप से लाभ मिलता है। इन बाट तथा माप यंत्रों की राज्‍य सरकार के अधिकारियों द्वारा मानक बाटों तथा मापों तथा नियमों में विहित प्रक्रिया का प्रयोग करते हुए जांच की जाती है।

 

3.2       विधिक माप विज्ञान (पैकबंद वस्‍तुएं) नियम, 2011

  • पूर्व पैकबंद वस्‍तु को अधिनियम के अंतर्गत एक वस्‍तु जिसे क्रेता की अनुपस्थिति में किसी भी प्रकार के स्‍वरूप, चाहे वह सील बंद हो अथवा नहीं, संकेत में प्रस्‍तुत किया जाता है, ताकि उसमें उपलब्‍ध उत्‍पाद पर्वू-निर्धारित गया हो, के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • विधिक माप विज्ञान (पैकबंद वस्‍तु) नियम, 2011 के अनुसार प्रत्‍येक पैकेज पर कुछेक अनिवार्य घोषणाएं की जानी होती हैं, जो इस प्रकार हैं:-

 

  1. विनिर्माता/पैकर/आयातक का नाम तथा पता;
  2. आयातित पैकेजों के मामले में मूल देश
  3. पैकेज में उपलब्‍ध वस्‍तु का सामान्‍य अथवा प्रजाति-नाम
  4. वजन के मानक यूनिट के संदर्भ में अथ्‍वा माप अथवा संख्‍या में निवल-मात्रा।
  5. विनिर्माण/पैक/आयात का माह वर्ष
  6. अधिकतम खूदरा मूल्‍य (एम.आर.पी.) के रूप में खुदरा बिक्री मूल्‍य रुपये ------ सभी करों सहित
  7. उपभोक्‍ता देखरेख ब्‍यौरे।

 

  • उपर्युक्‍त के अतिरिक्‍त, सरकार ने आम उपभोक्‍ताओं के हित में 19 वस्‍तुओं को निर्धारित आकारों में पैक करने के लिए इसे अनिवार्य बनाया है।

 

3.3 विधिक माप विज्ञान (मॉडल्‍स की स्‍वीकृति) नियम, 2011::

 

बाट तथा माप उपकरण के विनिर्माता/ आयातक जिन्‍हें विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 तथा इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में निर्धारित किया गया है, को विनिर्माण/आयात से पूर्व भारत सरकार का अनुमोदन प्राप्‍त करना अनिवार्य होगा।

 

कास्‍ट आयरन, प्रास, बुलियन,अथवा कराट वजन अथवा कोई बीम-मापदंड लम्‍बाई माप (माप अैप न किए जा रहे हों) जैसे कुछेक उपकरण,जो साधारणतया वस्‍त्र अथवा लकड़ी, क्षमता-माप, जो क्षमता में 20 लीटर से अधिक न हों, को मॉडल अनुमोदन प्राप्‍त करने की जरूरत नहीं है।

 

3.4       विधिक माप-विज्ञान (राष्‍ट्रीय मानक) नियम, 2011:

(i) नियमों के अंतर्गत राष्‍ट्रीय फोटो टाइप के उपबन्‍ध का कोई उपबंध नहीं है। विभिन्‍न मानक राष्‍ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में रखे जाते हैं।

(ii) बाट तथा माप के निर्देश मानक क्षेत्रीय निर्देश, मानक प्रयोगशाला, अहमदाबाद, बंगलोर, फरीदाबाद, भुवनेश्‍वर तथा गुवाहाटी में रखते जाते हैं।

(iii) निेर्दश मानक बाट तथा माप के सेकेण्‍डरी मानकों के सत्‍यापन के लिए प्रयोग किए जाते हैं और जो राज्‍य सरकार की प्रयोगशालाओं के भाग हैं।

(iv) क्रियाशील मानक बाट तथा माप जिला स्‍तर पर उपलब्‍ध है जो व्‍यापारियों तथा विनिर्माताओं द्वारा लेन-देन तथा संरक्षण प्रयोजन हेतु किसी भी बाट तथा माप के सत्‍यापन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। क्रियाशील मानक बाटों तथा मापों द्वारा किया जाता है।

 

3.5       विधिक माप-विज्ञान (गणन) नियम, 2011:  इन नियमों के अंतर्गत उपबन्‍ध गणन तथा उस तरीके के लिए किया जाता है जिसमें संस्‍थाएं लिखी जाएंगी।

 

3.6       भारतीय विधिक माप-विज्ञान संस्‍थान नियमावली, 2011: भारतीय विधिक माप-विज्ञान संस्‍थान, रांची इस विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन राज्‍यों/संघ शासित क्षेत्रों/ भारत संघ के विधिक माप-विज्ञान अधिकारियों को विधिक माप-विज्ञान अधिकारियों को विधिक माप-विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिक्षण प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण संस्‍थान है। इन नियमों के अंतर्गत संस्‍थान में प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों, संस्‍थान के बाध्‍यकार, संस्‍थान में प्रत्‍येक के लिए पात्र होने वाले व्‍यक्तियों की अर्हता के संबंध में उपलब्‍ध निर्धारित किए जाते हैं।

 

3.7       विधिक माप विज्ञान (सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण केन्‍द्र) नियम, 2013

 

सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण केन्‍द्र (जी.ए.टी.सी.) नियम राज्‍य सरकार के अधिकारियों द्वारा किए गए सत्‍यापन के अतिरिक्‍त, कुछेक बाटों तथा मापों के सत्‍यापन के लिए प्राइवेट व्‍यक्तियों द्वारा स्‍थापित किए गए जीएटीसी के अनुमोदन के लिए तैयार किए जाते हैं। जी.ए.टी.सी. द्वारा सत्‍यापन के लिए इन नियमों के अंतर्गत निर्धारित किए बाट तथा माप हैं: (i) वाटर मीटर (ii) स्फिग्‍नोमैनोमीटर (iii) क्लिीनकल- थर्मामीटर (iv) स्‍वचालित रेल तौल-सेतु (v) टेप-मीटर (vi) एक्‍योरेसी क्‍लास – III/क्‍लास III (150कि.ग्रा. तक) के गैर-स्‍वचालित तौल उपकरण, (vii) भार-प्रत्‍येक (viii) बीम- मानदंड (ix) काउन्‍टर-मशीन; (x) सभी श्रेणियों के बाट।

 

3.8       राज्‍य सरकारों ने भी अधिनियम, 2009 के क्रियान्‍वयन के लिएअपने-आपने राज्‍य विधिक माप-विज्ञान (प्रवर्तन) नियम बनाए हैं।

 

4.         विधिक माप-विज्ञान के प्रकार्य-

             

माप में परिशुद्धता तथा सुस्‍पष्‍टता दैनिक जीवन में बहुत ही महत्‍वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। एक पारदर्शी तथा इन विधिक मापविज्ञान प्रणाली व्‍यापार, उद्योग तथा उपभोक्‍ता में विश्‍वास के प्रेरित करती है तथा () विभिन्‍न क्षेत्रों में राजस्‍व में वृद्धि करके देश की अर्थव्‍यवस्‍था में योगदान  करके, () कोयला, खानों, उद्योगों, पैट्रोल, टेल में राजस्‍व घाटे को कम करे में महत्‍वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करके; () अवसंरचना क्षेत्र में हानि तथा अपव्‍यय में कमी करके व्‍यवसाय को संचालित करने के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाती है।

 

            अत: विधिक माप विज्ञान द्वारा निष्‍पादित कार्य, जनहित में महत्‍वपूर्ण है। निदेशक, विधिक माप-विज्ञान एक सांविधिक प्राधिकारी जिसे पूर्व-पैकबंद वस्‍तुओं सहित हों तथा मापों के अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार तथा वाणिज्‍य से संबंधित विधिक – माप-विज्ञान अधिनियम, 2009 के अंतर्गत निर्धारित अधिकार तथा उत्तरदायिवत्‍व प्राप्‍त है। निदेशक, विधिक माप-विज्ञान, विधिक माप-विज्ञान के मानक स्‍थापित करने तथा विधिक माप विज्ञान से सम्‍बन्धित मानकों की अनुमार्गनीयता को बनाए रखने के लिए भी उत्तरदायी है। निदेशक के प्रमुख उत्तरदायित्‍व तकनीकी क्षेत्र के निरीक्षण करके खोज करने अभिग्रहण करने कार्यालयों का पंजीकरण करने तथा अभियोजन आरंभ्‍ज्ञ करने के लिए विनियमन, प्रवर्तन और अनुसंधा, विनियमत और प्रवर्तन की प्रकृति के हैं।

 

            विधिक माप-विज्ञान कानूनों का प्रवर्तन राज्‍य सरकारों द्वारा विधिक माप-विज्ञान नियंत्रकों तथा विधिक माप-विज्ञान अधिकारों द्वारा अधिनियम के उपबंधों द्वारा किया जाता है।

 

5.         संलग्‍न/अधीनस्‍थ कार्यालय:

 

5.1       क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाओं (आर.आर.एस.एल. की स्‍थापना राज्‍य सरकारों, देश के उद्योग जगत तथा उपभोक्‍ताओं की विधिक माप-विज्ञान सम्‍बन्‍धी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए की जाती है। 5 क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाएं है जो अहमदाबाद; बंगलोर, भुवनेश्‍वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में स्थित है। क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशाला व्‍यापार तथा लेन-देन में सही बाट तथा माप सुनिश्चित करने के लिए राष्‍ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और राज्‍यों की बाट तथा माप प्रयोगशालाओं के बीच एक कड़ी (सम्‍पर्क) काम करती है। दो नई क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाएं नागपुर तथा वाराणसी में स्‍थापित की जा रही है। सभी 5 क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाएं नागपुर तथा वाराणसी में स्‍थापित की जा रही हैं। सभी 5 क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाएं अर्थात् क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशाला प्रत्‍यायन बोर्ड (एन.ए.बी.एल.) से प्रत्‍यायित हैं। विभाग के सभी अधीनस्‍थ तथा विधिक माप-विज्ञान प्रभाग आई.एस.ओ. 9001 से पहले ही प्रमाणित हैं। क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशाला, बंगलौर उत्तम अंतर्राष्‍ट्रीय प्रयोगशालाओं के समतुल्‍य होने जा रही है।

 

ये प्रयोगशालाएं राज्‍य सरकार के गौण (सेकेण्‍डरी) मानकों, बाटों तथा मापों के परीक्षण मॉडल के सत्‍यापन परिष्‍कृत बाट तथा माप उपकरणों के अंशाकन तथा उपभोक्‍ता जागरूकता कार्यक्रमों आदि के आयोजन के लिए उत्तरदायी है। 

 

5.2       भारतीय विधिक माप-विज्ञान संस्‍थान, रांची विधिक माप-विज्ञान अधिकारियों को व्‍यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए राष्‍ट्रीय केन्‍द्र है। यह निकटवर्ती/विकासशील देशों के विदेशी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण भी प्रदान करता है। यह एक आवासीय प्रशिक्षण संस्‍थान है तथा यह 17 एकड़ के अनुमानित क्षेत्र में है। इस संस्‍थान में प्रशिक्षण और सेमिनार आयोजित करने की सभी सूचनाएं मैं है। इस संस्‍थान में प्रशिक्षण और सेमिनार आयोजित करने की सभी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। यह संस्‍थान विधिक माप विज्ञान अधिकारियों को विधिक माप विज्ञान के क्षेत्र में मूल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के माध्‍यम से विधिक माप-विज्ञान अधिनियमों और नियमों तथा क्षेत्र (फील्‍ड) में उनके क्रियान्‍वयन से संबंधित शिक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह संस्‍थान विधिक माप-विज्ञान पर विभिन्‍न पुनरचर्या पाठ्यक्रम तथा सेमिनारों का आयोजन नियमित आधार पर करता है। एक कलण्‍डर वर्ष में विभिन्‍न राज्‍यों तथा संघ राज्‍य क्षेत्रों के विधिक माप विज्ञान के लगभग 200 अनुमानित अधिकारियों को भारतीय विधिक माप-विज्ञान संस्‍थान, रांची द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके परिसर में प्रयोगशाला तथा छात्रावास सुविधाएं अच्‍छी हैं। भारतीय विधिक माप-विज्ञान संस्‍थान, रांची में छात्रावास एवं अवधि – गहृ का निर्माण कार्य प्रगति पर है।