संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने वर्ष 1946 में यह सिफारिश की थी कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य को आवश्यक विधायी और अन्य उपयुक्त उपाय करनी चाहिए ताकि बिना उचित अधिकार विशेषकर वाणिज्यिक उद्देश्यों के संप्रतीक, आधिकारिक विशेषकर वाणिज्यिक उद्देश्यों के संप्रतीक, आधिकारिक मुहरों और संयुक्त राष्ट्र के नाम उस नाम का लघु रूप के उपयोग को रोकना चाहिए। इसी तरह की सिफारिश विश्व स्वास्थ्य संगठन से उसके नाम (लघु नाम), संप्रतीक और आधिकारिक मुहर के प्रस्तुतीकरण हेतु प्राप्त हुई थी। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और संप्रतीक और महात्मा गांधी और अन्य राष्ट्रीय नेताओं के सचिव प्रस्तुतीकरण का वाणिज्यिक और व्यापार उद्देश्यों और इस ढंग से जिससे लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, इस तरह के उपयोग करने के मामले सामने आ चुके हैं।
तदनुसार, व्यावसायिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए कुछ संप्रतीक और नामों के अनुचित को रोकने के लिए 1 मार्च, 1950 को संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950 को लागू किया गया। संप्रतीक और नाम प्रभाग अधिनियमों और संबंधित मामलों के कार्यान्वयन का कार्य करता है।