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  • उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालयMINISTRY OF CONSUMER AFFAIRS, FOOD & PUBLIC DISTRIBUTION
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परिचय


वर्ष 1992 में उपभोक्‍ता कल्‍याण कोष नियम बनाये गये थे और इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया था, जिसे सीजीएसटी नियम, 2017 के उपभोक्‍ता कलयाण कोष नियम 97 में शामिल किया गया है। उपभोक्‍ता कल्‍याण कोष की स्‍थापना सीजएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 57 के तहत किया गया है।

इससे पूर्व, केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और नमक अधिनियम, 1944 को केन्‍द्र सरकार को उपभोक्‍ता कल्‍याण कोष के सृजन को सक्षम बनाने के लिए वर्ष 1991 में संशोधन किया गया था जहां विनिर्माताओं इतयादि को रिफंड न की जाने वाली राशि को अंतरित किया जा रहा है। उपभोक्‍ता कलयाण कोष नियम को वर्ष 1992 में भारत के राजपत्र में अधि‍सूचित किया गया था। वर्ष 1993 में गठित कार्य समूह की रिपोर्ट के आधार पर उपभोक्‍ता कलयाण कोष से वित्‍तीय सहायता लेने संबंधी दिशानिर्देशों बनाए गये थे, जो बाद में वर्ष 2007 और वर्ष 2014 में दो बार संशोधित किया गया था।

उपभोक्‍ता कल्‍याण कोष से वित्‍तीय सहायता विश्‍वविद्यालय, स्‍वैच्छिक उपभोक्‍ता संगठनों और राज्‍यों सहित विभिन्‍न संस्‍थानों को दी जाती है ताकि वे उपभोक्‍ता के हितों और कल्‍याण की सुरक्षा एवं संवर्धन करें, उपभोक्‍ता जागरूकता पैदा करे और देश में उपभोक्‍ता आंदोलन को सुदृढ़ करे। उपभोक्‍ता कल्‍याण कोष से निम्‍नलिखित प्रमुख परियोजनाओं के लिए अनुदान दिया गया है।

(i) उपभोक्‍ता संबंधी मामलों पर प्रशिक्षण एवं शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रतिष्ठित संस्‍थानों/विश्‍वविद्यालयों में उपभोक्‍ता न्‍यायिक पीठों/ उत्‍कृष्‍ठ केन्‍द्रों का निर्माण।

(ii) उपभोक्‍ता शिक्षा और जागरूकता को बढ़ाने के लिए परियोजना

(iii) सह-योगदान के माध्‍यम से राज्‍य स्‍तर पर कायिक निधि की स्‍थापित करना।

अनुदान संस्‍वीकृत करने से पूर्व पात्र स्‍वैच्छिक उपभोक्‍ता संगठनों/गैर-सरकारी संगठनों/शैक्षिणिक संस्‍थानों से डिजीटल/गैर-सरकारी संगठनों/शैक्षिणिक संस्‍थानों से डिजीटल/इलैक्‍ट्रॉनिक प्रारूप में उपभोक्‍ता कल्‍याण कोष से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍ताव आमंत्रित किए जाते हैं।